बाइबल के विषय में संक्षिप्त जानकारी।

बाइबल यूनानी भाषा के बिबलोस से आया है, जिसका अर्थ है पुस्तक या पुस्तकों का संग्रह। यह 66 अलग-अलग पुस्तकों का संकलन है, जो लगभग 1,500 या 1,600 वर्षों की अवधि में 40 अलग-अलग लेखकों द्वारा लिखी गई हैं। जिनमें भविष्यद्वक्ता, प्रेरित, राजा, मछुआरे, पुरोहित, सरकारी अधिकारी, किसान, चरवाहे और डॉक्टर इत्यादि शामिल थे। अनेक अलग-अलग स्तर के लेखकों के द्वारा लिखे जाने के बाद भी इसमें एकता है, इसमें कोई विरोधाभास नहीं हैं। बाइबल में विरोधाभास इसलिए नहीं है, क्योंकि अनेक मानवीय लेखक होने के बाद भी अन्ततः इसका लेखक एक ही है - अर्थात् स्वयं परमेश्वर।

बाइबल "परमेश्वर प्रेरित" है जैसे हम दूसरा (तीमुथियुस 3:16 )में देखते हैं, कि सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है, और यह शिक्षा, ताड़ना, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा के लिए उपयोगी है। तो मानवीय लेखकों ने सटीकता के साथ केवल वही लिखा जो परमेश्वर उनसे चाहता था कि वे लिखें। और इसी कारण यह परमेश्वर के सिद्ध और पवित्र वचन हैं। जैसे हम (भजन संहिता 12:6) में पढ़ते हैं, यहोवा के वचन तो पवित्र वचन हैं, वे ऐसी चांदी के समान हैं जो भट्ठी में मिट्टी पर ताई जाकर सात बार शुद्ध की गई हो। और दूसरा (पतरस 1:21) क्योंकि कोई भी भविष्यवाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, परन्तु लोग पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा परमेश्वर की ओर से बोलते थे।

बाइबल मुख्यतः दो भागों में विभाजित है: पुराना नियम और नया नियम , इन दोनों भागों में अलग-अलग पुस्तकें हैं, जो विभिन्न विषयों के विषय में चर्चा करती हैं। यद्यपि इसमें कई विषय हैं किन्तु वे सभी पुस्तक का केंद्रीय विषय मानवता के लिए परमेश्वर का प्रेम पर एकजुट हैं। और बाइबल की लिखे जाने के विषय में बात करें तो यह तीन अलग-अलग महाद्वीप एशिया, अफ्रीका, यूरोप में, अलग-अलग समय में तीन भिन्न भाषाओं में लिखी गई है, इब्रानी, यूनानी और आरामी। पुराना नियम मुख्य रूप से इब्रानी भाषा में लिखा गया था, जिसमें कुछ भाग अरामी भाषा में लिखे गए थे। इब्रानी यहूदी लोगों की भाषा थी, और यह वह भाषा थी जिसका उपयोग मंदिर में, आराधनालय में और दैनिक जीवन में किया जाता था। अरामी भाषा यहूदियों द्वारा बेबीलोन निर्वासन के दौरान बोली जाती थी और बाद के वर्षों में यह यहूदी लोगों की आम भाषा बन गई। नया नियम यूनानी भाषा में लिखा गया था, जो उस समय भूमध्यीय संसार में व्यापार और संस्कृति की भाषा थी। यह यूनानी एवं रोमी साम्राज्य में गैर-यहूदियों एवं कई यहूदियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा थी। यूनानी भाषा के प्रयोग ने सुसमाचार के संदेश को पूरे रोमन साम्राज्य में व्यापक रूप से फैलाने में सहायक रहा।

आइए संक्षिप्त में पुराने नियम एवं नये नियम को देखें-

पुराना नियम लगभग 4,000 वर्षों की अवधि को शामिल करता है। जगत के उत्पत्ति से लेकर बेबीलोन के निर्वासन के अंत तक। पुराना नियम इस्राएल की जाति की स्थापना और इसे सुरक्षित रखने का विवरण देता है। परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया था किवह इस संसार को आशीषित करने के लिए इस्राएल को उपयोग करेगा (उत्पत्ति 12:2-3)। एक बार जब इस्राएल एक जाति के रूप में स्थापित हो गया, तब परमेश्वर ने उस जाति के अंदर से आशीषों को आने के लिए एक परिवार, अर्थात् दाऊद के परिवार को चुन लिया (भजन संहिता 89:3- 4)। इसके पश्चात, दाऊद के परिवार से एक व्यक्ति की आने की प्रतिज्ञा दी गई, जो प्रतिज्ञाएं हुई आशीषों को लेकर आएगा (यशायाह 11:1-10)। पुराने नियम को चार मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है: व्यवस्था की पुस्तकें, ऐतिहासिक पुस्तकें, काव्य की पुस्तकें और नबूबतों की पुस्तकें। व्यवस्था में पुराने नियम की पहली पांच पुस्तकें शामिल हैं, जिन्हें तोराह या पेंटाटुक के नाम से जाना जाता है, जिसे हम हिन्दी में पचतंत्र कहते हैं। जो जगत की उत्पत्ति एवं यहूदी लोगों के इतिहास और परमेश्वर द्वारा उन्हें दिए गए व्यवस्था के नियमों का वर्णन करते हैं। ऐतिहासिक पुस्तकें कनान के ऊपर विजय से लेकर बेबीलोन की बंधुआई तक इस्राएल के इतिहास को वर्णन करती हैं। जिसमें राजाओं के शासन और नबियों की कहानियाँ शामिल हैं। काव्य की पुस्तकों में भजन, नीति वचन, सभोपदेशक, कविता और ज्ञान साहित्य शामिल हैं। अंत में नबियों  के पुस्तकें हैं जिसमें वे परमेश्वर की ओर से इस्राएल को दंड की चेतावनी देने, और भविष्य के लिए आशा प्रदान करने के विषय में बात किये हैं।

नया नियम यीशु ख्रीष्ट के जन्म से प्रेरिताई युग के अंत तक लगभग 100 वर्षों की अवधि को शामिल करता है। इसे भी मुख्य चार वर्गों में विभाजित किया गया है: सुसमाचार, प्रेरितों के काम, पत्रियाँ और प्रकाशितवाक्य की पुस्तक। सुसमाचार यीशु ख्रीष्ट के जीवन, शिक्षाओं, मृत्यु और पुनरुत्थान का वर्णन करते हैं। जिन्हें चार अलग-अलग लेखकों द्वारा दर्ज किया गया है: मत्ती , मरकुस, लूका और यूहन्ना। प्रेरितों के काम, प्रारंभिक कलीसिया में प्रेरितों और अन्य प्रमुख लोगों की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए यरूशलेम से रोम तक प्रारंभिक ख्रीष्टीय कलीसिया के प्रचार  का वर्णन करता है। पत्रियां, प्रेरितों द्वारा विभिन्न कलीसियाओं और व्यक्तियों को लिखे गए पत्र हैं, जो विश्वास और ख्रीष्टीय जीवन निर्वाह करने के विषयों पर मार्गदर्शन और निर्देश प्रदान करते हैं। अंत में, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक एक भविष्यवाणी की पुस्तक है जो संसार के अंत और बुराई पर परमेश्वर की अंतिम जीत का वर्णन करती है।

बाइबल सिखाती है कि परमेश्वर संसार और जो कुछ भी है उसका निर्माता है, और वह प्रेममय, न्यायी और पवित्र है। परमेश्वर मानव को स्वंय के स्वरूप में बनाया था, लेकिन हम सभी ने पाप किया है और परमेश्वर की पूर्णता के स्तर से कम हो गए हैं। पाप का परिणाम मृत्यु और परमेश्वर से अनन्त अलगाव है, परन्तु परमेश्वर ने यीशु ख्रीष्ट में विश्वास के द्वारा हमें उसके साथ मेल मिलाप करने का एक तरीका प्रदान किया है। यीशु ख्रीष्ट, परमेश्वर का पुत्र, एक मनुष्य बन गया और एक पापरहित जीवन व्यतीत किया, हमारे पापों के लिए क्रूस पर स्वयं को बलिदान के रूप में प्रस्तुत किया। यीशु ख्रीष्ट में विश्वास के द्वारा हम पापों की क्षमा और अनन्त जीवन प्राप्त कर सकते हैं।

यीशु ही बाइबल का केन्द्रीय पात्र है - सम्पूर्ण पुस्तक वास्तव में उसके ही बारे में है। पुराना नियम उसके आगमन की भविष्यद्वाणी करता है और इस संसार में उसके प्रवेश के मंच को या मार्ग को तैयार करता है। नया नियम उसके आगमन और उसके कार्य की व्याख्या करता है जो हमारे इस पापपूर्ण संसार में उद्धार को लाता है।

यीशु एक ऐतिहासिक व्यक्ति से कहीं अधिक बढ़कर है। वह शरीर में परमेश्वर है, और उसका आगमन संसार के इतिहास में सबसे अधिक महत्वपूर्ण घटना है। वह एक व्यक्ति बन गया ताकि वह हमें एक स्पष्ट समझ को प्रदान कर सके कि वह कौन है। परमेश्वर कैसा दिखाई देता है? वह यीशु की तरह है; यीशु मानवीय रूप परमेश्वर है। यूहन्ना 1:14 में लिखा है, और वचन देहधारी हुआ, और हमारे बीच में निवास किया, और हमने उसकी ऐसी महिमा देखी जैसी पिता के इकलौते की महिमा जो अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो। और यूहन्ना 14:9 में यीशु ने उससे कहा, “फिलिप्पुस, मैं इतने समय से तेरे साथ हूँ, फिर भी तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को देखा है। तू कैसे कहता है, ‘हमको पिता दिखा दे? 

आइए अब  हम सम्पूर्ण बाइबल के एक संक्षिप्त सारांश को देखें-

परमेश्वर ने मनुष्य को रचा था और उसको एक सिद्ध वातावरण में रखा था। किन्तु मनुष्य परमेश्वर के विरुद्ध बलवा करता है, और जो कुछ परमेश्वर ने उसके लिए निश्चित किया था उससे गिर जाता है। परमेश्वर उसे पाप के कारण एक श्रापित संसार की अधीनता में रख देता है। परन्तु साथ ही तुरन्त सारी सृष्टि और मानवता को इसकी मूल महिमा में पुनर्स्थापित करने के लिए योजना को आरम्भ कर देता है। छुटकारे की उसकी योजना के हिस्से के रूप में, लगभग 2000 ईसा पूर्व परमेश्वर अब्राहम को बेबीलोन में से कनान के लिए जाने के लिए बुलाहट देता है। परमेश्वर अब्राहम और उसके पुत्र इसहाक और उसके पोते याकूब -जिसे इस्राएल के नाम से पुकारा जाता है- उनको प्रतिज्ञा देता है, कि वह उनके वंशजों के द्वारा संसार को आशीषित करेगा। इस्राएल का परिवार मिस्र से कनान की ओर चला आता है, जहाँ वह एक जाति के रूप में विकसित हो जाता है। लगभग 1400 ईसा पूर्व, परमेश्वर इस्राएल के वंशजों को मिस्र से बाहर मूसा की अगुवाई में मार्गदर्शन देते हुए बाहर ले आता है, और उन्हें प्रतिज्ञा की हुई भूमि कनान को उनकी अपनी भूमि होने के लिए दे देता है। मूसा के द्वारा परमेश्वर इस्राएल के लोगों को व्यवस्था देता है, और उसके साथ वाचा स्थापित करता है। यदि वे निरन्तर परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहेंगे, और अपनी चारों ओर की जातियों के द्वारा की जाने वाली मूर्तिपूजा के पीछे नहीं चलेंगे तब वे सम्पन्न हो जाएँगे। यदि वे परमेश्वर को त्याग देते हैं, और मूर्तिपूजा करते हैं, तो परमेश्वर उनकी जाति को नाश कर देगा। लगभग 400 वर्षों के पश्चात, दाऊद और उसके पुत्र सुलेमान के शासन के समय इस्राएल एक बहुत ही बड़े और शक्तिशाली राज्य के रूप में विकसित हो गया। परमेश्वर ने दाऊद और सुलेमान को प्रतिज्ञा दी कि उसके वंशज में से एक सदैव के लिए अंनतकाल के राजा के रूप में राज्य करेगा। सुलेमान के शासन के पश्चात इस्राएल विभाजित हो गई। उत्तरीय भाग दस गोत्रों को जिसे "इस्राएल" कह कर पुकारा गया और वे लगभग 200 वर्षों तक बने रहे। फिर परमेश्वर ने उनके मूर्तिपूजा के कारण उनका न्याय कर दिया। अश्शूरियों ने इस्राएल को 721 ईसा पूर्व बन्धुवाई में ले लिया। दक्षिणीय भाग दो गोत्रों को जिसे "यहूदा" कह कर पुकारा गया और वे थोड़े और अधिक समय तक बने रहे, परन्तु अन्त में उन्होंने भी परमेश्वर की ओर पीठ फेर लिया। बेबीलोन के लोगों ने उन्हें भी 600 ईसा पूर्व बन्धुवाई में ले लिया। लगभग 70 वर्षों के पश्चात परमेश्वर कुछ बचे हुए लोगों को बन्धुवाई में से उनकी अपनी भूमि पर वापस लौटा ले आया। यरूशलेम, राजधानी, को फिर से 444 ईसा पूर्व निर्मित किया गया, और इस्राएल ने एक बार फिर से राष्ट्रीय पहचान को स्थापित किया। इस तरह पुराना नियम समाप्त होता है।

नया नियम 400 वर्षों के पश्चात बैतलहम में यीशु ख्रीष्ट के जन्म के साथ आरम्भ होता है। यीशु प्रतिज्ञा दिए हुए अब्राहम और दाऊद के वंशज से आता है, वह ऐसा व्यक्ति है जो मानवजाति के लिए परमेश्वर की छुटकारे की योजना को पूरा करेगा। यीशु विश्वासयोग्यता के साथ अपने कार्य को पूरा करता है - वह पाप के लिए मर जाता है, और मृतकों में से जी उठता है। ख्रीष्ट की मृत्यु इस संसार के साथ नई वाचा का आधार है। वे सभी जो यीशु में विश्वास करते हैं पाप से बचाए जाते और वे अंनतकाल तक जीवित रहेंगे। जी उठने के पश्चात यीशु ने अपने शिष्यों को अन्य लोगों को बचाने के लिए उसके जीवन और उसकी सामर्थ्य के सन्देश को फैलाने के लिए भेजता है। यीशु के शिष्य यीशु के सुसमाचार को फैलाने के लिए प्रत्येक दिशा की ओर चले गए। उन्होंने एशिया माईनर, यूनान और सारे रोमी साम्राज्य की यात्राएँ कीं। नया नियम इस भविष्यद्वाणी के साथ समाप्त होता है कि यीशु एक दिन इस अविश्‍वासी संसार का न्याय करने और सृष्टि को श्राप से मुक्त करने के लिए पुनः आने वाला है।

इस लेख में कुछ जानकारी इस साइट से लिए गये हैं। आप https://www.gotquestions.org/Hindi/Hindi-Bible-Survey.html इस साइट में जाकर सम्पूर्ण बाइबल का सर्वेक्षण पढ़ सकते हैं। 

नोट- यद्यपि परम्परागत रीति से यूनानी शब्द 'ख्रिस्टोस' को हिन्दी अनुवादों में 'मसीह' के रूप में अनुवाद किया गया है, इसके लिए 'ख्रीष्ट' शब्द अधिक उपयुक्त है। इसका कारण यह है कि 'मसीह' शब्द इब्रानी भाषा के 'मशियाख' अर्थात् 'मसीहा' शब्द से लिया गया है, जबकि नया नियम की मूल भाषा यूनानी है। अन्य भाषाओं के बाइबल अनुवादों में भी 'ख्रिस्टोस' के लिए 'ख्रिस्टोस' पर आधारित शब्दों का ही उपयोग किया गया है। इसलिए इस लेख में ' 'ख्रीष्ट', 'ख्रीष्टीय', 'ख्रीष्टीयता' शब्द का उपयोग किया गया है।

 

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