पवित्र शास्त्र बाइबल का अधिकार।


इस संसार में बहुत सारें शास्त्र पाए जाते हैं, उनमें से आज हम इस लेख में एक ऐसे शास्त्र के विषय में बात करेंगे, जिसमें हम परमेश्वर के अधिकार का आश्वासन मिलता है। वह स्वयं दावा करता है कि वह परमेश्वर का वचन है। और हम उसके परमेश्वर के वचन होने का प्रमाण भी पाते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं उस शास्त्र के बारें में तो अपने जीवन के कुछ मिनट निकालकार इस लेख पढ़ें। आप वास्तव में जान पाएँगे कि उस शास्त्र पर भरोसा किया जा सकता है क्योंकि उसके पास अधिकार है।

बाइबल वह पवित्रशास्त्र है जिसमे परमेश्वर ने स्वयं को अपने वचन के द्वारा प्रकट किया है। “केल्विन एक महान धर्म सुधारक कहते हैं बाइबल का अधिकार इसके आरंभ से आता है कलीसिया के द्वारा नहीं,” क्योंकि सम्पूर्ण पवित्र शास्त्र परमेश्वर के प्रेरणा से रचा गया है इसलिए इसका जो अधिकार है वो परमेश्वर से ही है।

बाइबल सच में परमेश्वर का वचन है इसके आन्तरिक तथा बाह्य दोनों प्रमाण पाए जाते हैं। आन्तरिक प्रमाण स्वयं बाइबल में वे बातें हैं जो बाइबल की परमेश्वरीय आधार की गवाही देती हैं। बाइबल अद्भुत रीति से परमेश्वर का वचन है, यह पुस्तक पवित्र आत्मा के प्रेरणा से मनुष्यों के द्वारा लिखी गई है (2 तीमुथियुस 3:16)। 

  • पहला आंतरिक प्रमाण, बाइबल की एकता में देखा जाता है। यद्यपि इसमें 66 अलग-अलग पुस्तकें और वे पुस्तकें अलग-अलग तीन महाद्वीपों में, तीन भिन्न भाषाओं में, लगभग 1,500 या 1,600 वर्षों की अवधि में 40 अलग-अलग लेखकों द्वारा लिखी गई है, और वे लेखक जीवन के कई भिन्न पृष्ठभूमि में से आए थे, परन्तु फिर भी, बाइबल आरम्भ से अन्त तक बिना किसी आपसी विरोधाभास के है। 

  • दूसरा प्रमाण, बाइबल परमेश्वर का वचन है इस बात को इसके भविष्यवाणियों में देखा जाता है। बाइबल में अनेक भविष्यवाणियों का विवरण हैं जो कि कई देशों के भविष्य के बारे में है, और मनुष्यों के भविष्य के विषय में है। अन्य भविष्यवाणियाँ ख्रीष्ट के सम्बन्ध में दी गई हैं कि उन सभी लोगों का उद्धार होगा जो ख्रीष्ट पर विश्वास करेंगे। केवल पुराने नियम में ही यीशु ख्रीष्ट से सम्बन्धित तीन सौ से भी अधिक भविष्यवाणियाँ हैं, जिन्हें हम नये नियम में पूरा होते हुए पाते हैं और कुछ भविष्यवाणियाँ यीशु ख्रीष्ट के द्वतीय आगमन के घड़ी में पूर्ण होंगे।


  • तीसरा प्रमाण, बाइबल के विशेष अधिकार और सामर्थ्य में है। यह अधिकार और सामर्थ्य उस तरीके में देखा गया है जिसमें बहुत जीवन परमेश्वर के वचन की अलौलिक सामर्थ्य के द्वारा परिवर्तित हुए हैं। 

  • पहला बाह्य प्रमाण, एक बाइबल की ऐतिहासिकता है। क्योंकि बाइबल ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण देती है। और बाइबल के समर्थन में सारे पुरातात्विक तथा पाण्डुलिपीय प्रमाणों ने उसे पुरातन संसार की सर्वश्रेष्ठ दस्तावेजों से सिद्ध की हुई पुस्तक बना दिया है।

  • दूसरा प्रमाण, इसके मानव लेखकों की निष्ठा से है। इन मनुष्यों की जीवनियों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि वे विश्वासयोग्य थे। जो वे विश्वास करते थे उसके लिए वे जान देने के लिए तत्पर थे, तो यह प्रमाणित करता है कि बाइबल वास्तव में परमेश्वर का वचन है।

  • तीसरा प्रमाण, बाइबल का नष्ट न हो पाना है, यह इतिहास में अधिक बुरे आक्रमण और इसके नष्ट किए जाने के प्रयासों को सहन किया है। बाइबल ने अपने सभी आक्रमणकारियों को सहन किया है और आक्रमणकारियों को अपने सामने टिकने नहीं दिया और आज भी यह सारे संसार में सर्वाधिक प्रकाशित होने वाली पुस्तक है।

यह वही शास्त्र जिसके द्वारा परमेश्वर स्वयं को प्रकट करता है। क्योंकि मनुष्य सीमित और पापी है इसलिए परमेश्वर के सत्य को नही जान सकता जब तक परमेश्वर स्वयं को विशिष्ट प्रकाशन से प्रकट ना करे। और बाइबल ही परमेश्वर का विशेष प्रकाशन है जिसमें वह स्वयं को प्रकट किया है। इसलिए अब हम पवित्र आत्मा के सहायता से बाइबल में परमेश्वर के सत्य को सही रीति से जान सकते हैं। बाइबल ख्रीष्ट के शिष्यों या विश्वासियों के विश्वास और जीवन के लिए एकमात्र अचूक, त्रुटिहीन, पर्याप्त, आधिकारिक और अन्तिम नियम है (भजन संहिता 19:7; यशायाह 55:10-11; मत्ती 24:35)।  इसलिए परमेश्वर मनुष्यों के सारे व्यवहार, विश्वास, और मतों का इस सर्वोच्च स्तर के द्वारा न्याय करेगा (इब्रानियों 4:12-13)। 

बाइबल हमें परमेश्वर के सत्य के बारें में स्पष्ट रूप से बताती है और उस सुसमाचार के बारें में जो पिता ने अपने पुत्र के द्वारा हम पर प्रकट किया। बाइबल मानव के वास्तविकता को दिखाती हैं तथा परमेश्वर एवं उसके पुत्र के द्वारा किये गये उद्धार के एवं अनन्त जीवन के विषय में बताती है। इसलिए मेरे भाइयों एवं बहनों बाइबल को पढ़िए और विश्वास करिए क्योंकि बाइबल ही वह पवित्रशास्त्र है हमें परमेश्वर तथा हमारे संबंधित बातों को बताती है।

नोट- यद्यपि परम्परागत रीति से यूनानी शब्द 'ख्रिस्टोस' को हिन्दी अनुवादों में 'मसीह' के रूप में अनुवाद किया गया है, इसके लिए 'ख्रीष्ट' शब्द अधिक उपयुक्त है। इसका कारण यह है कि 'मसीह' शब्द इब्रानी भाषा के 'मशियाख' अर्थात् 'मसीहा' शब्द से लिया गया है, जबकि नया नियम की मूल भाषा यूनानी है। अन्य भाषाओं के बाइबल अनुवादों में भी 'ख्रिस्टोस' के लिए 'ख्रिस्टोस' पर आधारित शब्दों का ही उपयोग किया गया है। इसलिए इस लेख में ' 'ख्रीष्ट', 'ख्रीष्टीय', 'ख्रीष्टीयता' शब्द का उपयोग किया गया है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समृद्धि के सुसमाचार से सावधान: यह हमें यहीं सुख-विलास में जीने के लिए प्रेरित करता है।

क्या आज भी प्रेरित हैं?

अगर परमेश्वर भला है, तो बुराई क्यों है?