आधुनिकतावाद विधर्मिता क्या है?

इस लेख में 20वी सदी की आधुनिकतावाद विधर्मिता का खंडन किया गया है। आधुनिकतावाद यह मानता है कि समय के अनुसार हर विज्ञान बदलता है। इनके अनुसार बाइबल का ईश्वरविज्ञान भी बदला जाना चाहिए है।

     प्रिय भाईयों और बहनों मैं आपका भाई विशाल आपको जय मसीह की करता हूँ। आधुनिकतावादी लोग हर बात को परिवर्तन करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि बाइबल की शिक्षाओं को बदलना चाहिए। क्योंकि आज के समय में इनका पालन नहीं किया जा सकता है।

     ये लोग बाइबल को मनुष्यों के आधार पर गठित शिक्षाओं के रूप में समझते है। दूसरे शब्दों में इन लोगों का मानना है कि जिस प्रकार से समय के आधार पर दर्शन, विचारों एवं समाज में बदलाव आता है। यदि सब कुछ में बदलाव आता है तो इसी प्रकार से बाइबल में भी बदलाव आना चाहिए। परन्तु ये लोग इस बात को नहीं जानते है कि बाइबल सिर्फ मनुष्यों के द्वारा संगठित की गई पुस्तक नहीं है।

     बाइबल में लिखी गई बाते किसी व्यक्ति के विचार नहीं है न ही बाइबल किसी के विचारों की परिकल्पना है। परन्तु बाइबल बताती है कि बाइबल में जो भी लिखा है वह परमेश्वर पवित्र आत्मा द्वारा लिखा गया है। यह बात सत्य है कि बाइबल को विभिन्न लेखकों ने लिखा है परन्तु परमेश्वर पवित्र आत्मा ने इन वचनों को लिखवाया है (2 पतरस 1ः19-21)। परमेश्वर पवित्र आत्मा के द्वारा लिखवाने का अर्थ है कि वचन पवित्र आत्मा से प्रेरित है।

     आधुनिकतावादी लोग बाइबल की शिक्षा को इसलिए बदलना चाहते हैं क्योंकि बाइबल की शिक्षा वर्तमान समय के लिए उपयोगी नहीं है। दूसरे शब्दों में, जिस प्रकार से काई लगे लौहे को घिसकर के उसको फिर से उपयोगी बनाया जा सकता है उसी प्रकार से बाइबल की शिक्षाओं को आधुनिक समय के अनुसार बदलकर के उनको वर्तमान समय के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है। परन्तु परमेश्वर का वचन स्वयं के बारे में बताता है कि उसकी उपयोगिता क्या हैं-

     जैसा कि हम देख चुके है कि परमेश्वर का वचन परमेश्वर की प्रेरणा के द्वारा लिखा गया है (2 तिमुथियुस 3ः16)। परमेश्वर का वचन स्वयं ही बताता है कि यह वचन हमारे जीवन के लिए सही है। बाइबल हर समय के लोगों के लिए शिक्षा, ताड़ना, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा देने लिए उपयोगी है (2 तिमुथियुस 3ः16)

बाइबल कभी भी नहीं बदल सकती इसके लिए दो तर्क दिए गए है कि यह परमेश्वर पवित्र आत्मा के द्वारा लिखा गया है, यह सिर्फ मानवीय लेखकों के द्वारा ही नहीं लिखा गया है। इस कारण से बाइबल एक संगठित विचार का संग्रह है। क्योंकि बाइबल सिर्फ एक प्राचीन इतिहास की पुस्तक ही नहीं है परन्तु यह तो एक योजना का वृतान्त है। 

     बाइबल परमेश्वर के द्वारा बनाई गई योजना का एक मानचित्र है। जिस तरह से मानचित्र समय के अनुसार नहीं बदलते है उसी प्रकार से बाइबल की योजना भी नहीं बदल सकती है। और यह योजना आज भी चल रही है। इस कारण से समय के अनुसार परमेश्वर अपनी योजना को नहीं बदलता क्योंकि वह सर्वज्ञानी है। वह अपनी योजना को हर समय काल में पूरा करता है। इस कारण से हमें परमेश्वर की योजना को अपने समय काल के अनुसार बदलने की आवश्यकता नहीं है।

    अन्त मैं प्रेरित पतरस के द्वारा कहे शब्दों के साथ समाप्त करना चाहता हूँ। पतरस पौलुस के द्वारा लिखी गई शिक्षाओं के विषय में कहता है कि उसकी कुछ बाते समझने में कठिन है। पतरस कहता है इसी कारण से कुछ लोग पवित्रशास्त्र की बातों को तोड़ते-मरोड़ते है। परन्तु प्रेरित पतरस ऐसे काम करने वाले लोगों के परिणाम को बताता है कि वे इस प्रकार के काम को अपने विनाश के लिए ही करते है (2 पतरस 3ः15-17)।

नोट- यद्यपि परम्परागत रीति से यूनानी शब्द 'ख्रिस्टोस' को हिन्दी अनुवादों में 'मसीह' के रूप में अनुवाद किया गया है, इसके लिए 'ख्रीष्ट' शब्द अधिक उपयुक्त है। इसका कारण यह है कि 'मसीह' शब्द इब्रानी भाषा के 'मशियाख' अर्थात् 'मसीहा' शब्द से लिया गया है, जबकि नया नियम की मूल भाषा यूनानी है। अन्य भाषाओं के बाइबल अनुवादों में भी 'ख्रिस्टोस' के लिए 'ख्रिस्टोस' पर आधारित शब्दों का ही उपयोग किया गया है। इसलिए इस लेख में ' 'ख्रीष्ट', 'ख्रीष्टीय', 'ख्रीष्टीयता' शब्द का उपयोग किया गया है।

Edited by Santu Maravi




 


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