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निकिया का विश्वास वचन

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हम विश्वास करते हैं एक परमेश्वर पर, जो पिता है, जो सर्वशक्तिमान है, जो स्वर्ग और पृथ्वी का और समस्त दृश्य एवं अदृश्य वस्तुओं का सृष्टिकर्ता है। हम विश्वास करते हैं एक प्रभु पर, यीशु ख्रीष्ट। परमेश्वर का एकमात्र पुत्र, सनातन से पिता से उत्पन्न, परमेश्वर से परमेश्वर, ज्योति से ज्योति, सच्चे परमेश्वर से सच्चा परमेश्वर, सनातन से उत्पन्न है, रचा नहीं गया; पिता के साथ एक ही अस्तित्व है। उस के द्वारा सब वस्तुएं रची गईं। हम मनुष्यों के लिए और हमारे उद्धार के निमित्त वह स्वर्ग से नीचे आयाः पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से वह कुंवारी मरियम से देहधारी हुआ और मनुष्य बना। वह हमारे लिए पुन्तियुस पिलातुस के शासन में क्रूस पर चढ़ाया गया; उसने मृत्यु का सामना किया और गाड़ा गया। वह तीसरे दिन जी उठा पवित्रशास्त्र के अनुसार; वह स्वर्ग पर चढ़ गया, और पिता की दाहिनी ओर है। वह पुनः महिमा में आएगा जीवितों और मृतकों का न्याय करने के लिए, और उसके राज्य का कभी अन्त न होगा। हम विश्वास करते हैं पवित्र आत्मा पर, जो प्रभु और जीवन का दाता है, जो पिता और पुत्र से अग्रसर है। पिता और पुत्र के साथ उसकी आराधना और स्तुति की जात

आधुनिकतावाद विधर्मिता क्या है?

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इस लेख में 20वी सदी की आधुनिकतावाद विधर्मिता का खंडन किया गया है। आधुनिकतावाद यह मानता है कि समय के अनुसार हर विज्ञान बदलता है। इनके अनुसार बाइबल का ईश्वरविज्ञान भी बदला जाना चाहिए है।      प्रिय भाईयों और बहनों मैं आपका भाई विशाल आपको जय मसीह की करता हूँ। आधुनिकतावादी लोग हर बात को परिवर्तन करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि बाइबल की शिक्षाओं को बदलना चाहिए। क्योंकि आज के समय में इनका पालन नहीं किया जा सकता है।      ये लोग बाइबल को मनुष्यों के आधार पर गठित शिक्षाओं के रूप में समझते है। दूसरे शब्दों में इन लोगों का मानना है कि जिस प्रकार से समय के आधार पर दर्शन, विचारों एवं समाज में बदलाव आता है। यदि सब कुछ में बदलाव आता है तो इसी प्रकार से बाइबल में भी बदलाव आना चाहिए। परन्तु ये लोग इस बात को नहीं जानते है कि बाइबल सिर्फ मनुष्यों के द्वारा संगठित की गई पुस्तक नहीं है।      बाइबल में लिखी गई बाते किसी व्यक्ति के विचार नहीं है न ही बाइबल किसी के विचारों की परिकल्पना है। परन्तु बाइबल बताती है कि बाइबल में जो भी लिखा है वह परमेश्वर पवित्र आत्मा द्वारा लिखा गया है। यह बात सत्य है कि बाइब

अगुवों का उत्तरदायित्व: एक अगुवे का कर्तव्य क्या है?

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परिचय - एक अगुवे का उत्तरदायित्व कलीसिया / मंडली की देख रेख है। इस कार्य को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक अगुवा इस बात को समझे कि उसका अधिकार क्या है और यह अधिकार उसके अगुवे होने की भूमिका के साथ किस तरह जुड़ा हुआ है। 1 पतरस 5:1-3 के अनुसार , यीशु ख्रीष्ट प्रधान रखवाला है और उसने अपनी झुंड की रखवाली के लिए कुछ लोगों को नियुक्त किया है और अधिकार दिया है जो उस झुंड के अगुवे कहलाते हैं। इसलिए एक अगुवे को अपने कर्तव्य को विश्वासयोग्ता के साथ निभाना है क्योंकि उसे एक झुंड के रखवाले के रूप में परमेश्वर ने नियुक्त किया है। प्रेरित 20:28 के अनुसार इस झुंड को अर्थात कलीसिया को यीशु ख्रीष्ट ने अपने लहू से खरीदा है। अधिकार और एक अगुवा - अधिकार दो प्रकार के होते हैं ; आदेश रूपी अधिकार और परामर्श रूपी अधिकार। किसी भी अनुष्ठान या कार्यालय में आदेश रूपी अधिकार देखा जाता है। अधिकारी अपने अधिकार में होकर निर्देश देता है जिसका पालन करना अनिवार्य होता है। उसके आदेशों का उल्लंघन करने पर दंड दिया जाता है। प्रायः अगुवे आदेश देने का अधिकार रखते हैं और चाहते हैं कि जो कुछ वे कहें कलीसिया के सभी लोग