अगर परमेश्वर भला है, तो बुराई क्यों है?
बहुत से लोग इस सोच से जूझते हैं कि यदि परमेश्वर सर्वज्ञ , सर्वशक्तिशाली , सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है , तो उसने अपनी सृष्टि में बुराई को क्यों आने दिया। जब लोग इस सृष्टि में बुराई को देखते हैं तो उनके मन में ये प्रश्न उठता है कि "परमेश्वर कैसे भला हो सकते हैं ?" अगर परमेश्वर की इच्छा में होकर संसार में हर एक बुराई होती है , तो फिर परमेश्वर को कैसे "भला" कहा जा सकता है ? यद्यपि परमेश्वर ने हमें बुराई और पीड़ा की समस्या को लेकर एक संपूर्ण और पर्याप्त उत्तर नहीं दिया है , तो इसका अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर इस विषय पर संपूर्ण तरीके से शांत और चुप है। सबसे पहले हमे यह समझना है कि बुराई अपने आप में कोई "पदार्थ , धातु या वस्तु" नहीं है। बुराई को हम तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। - प्राकृतिक – आंधी , भूकंप , बीमारी , प्राकृतिक आपदाएं इत्यादि। - नैतिक - मनुष्यों के द्वारा बुरा चुनाव और बुरी क्रिया। - तात्त्विक - त्रुटिपूर्ण स्वभाव से भरा होना। तो एक साधारण परिभाषा के अनुसार यह कहा जा सकता है कि बुराई वह कार्य , चरित्र , गुण , स्वभाव और प्रकृति है ज